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[Translation from English to Native Hindi ] Life in a Japanese Family Here’s a story I hear from half a dozen girlfriend...
Original Texts
Life in a Japanese Family
Here’s a story I hear from half a dozen girlfriends. I mean, not that I have half a dozen girlfriends. Maybe they’re just friends of friends. There, that sounds a bit better. Anyway, Mom gets up early, makes breakfast and lunch for the family, then hustles everyone out the door with their lunchboxes. After that, she washes the sheets, scrubs the bathtub, and hangs out the towels. We’re talking real 1950’s, Leave-it-to-Beaver stuff here. Later maybe she’ll go off to a part-time job, take an English class, have an affair with her English teacher, or just meet some housewife friends for coffee and cakes.
Here’s a story I hear from half a dozen girlfriends. I mean, not that I have half a dozen girlfriends. Maybe they’re just friends of friends. There, that sounds a bit better. Anyway, Mom gets up early, makes breakfast and lunch for the family, then hustles everyone out the door with their lunchboxes. After that, she washes the sheets, scrubs the bathtub, and hangs out the towels. We’re talking real 1950’s, Leave-it-to-Beaver stuff here. Later maybe she’ll go off to a part-time job, take an English class, have an affair with her English teacher, or just meet some housewife friends for coffee and cakes.
Translated by
chanda_61
एक जापानी परिवार की कहानी ।
यह एक कहानी है जो मैंने आधी दर्जन सखियों से सुनी है। इसका मतलब यह नहीं है कि मेरे आधा दर्ज न सखियाँ
है, शायद वे मेरे मित्रों की मित्र है। इस तरह बोलना कुछ अटपटा लगता है।
खैर ,यहाँ माऐं सुबह जल्दी उठती हैं फिर अपने परिवार के लिये नाश्ता तथा खाना बनाती हैं। जब सब लोग दौङते भागते अपने अपने खाने का डिब्बा लेकर निकल जाते हैं तब वह कपङे धोती है, नहाने के टब धोती है तथा
तौलिये सुखाती है इस तरह की कङी मेहनत के बाद जो थोड़ा समय निकलता है उसमें वह अंश कालिक कार्य
जैसे अंग्रेज़ी कक्षा लेती हैं या फिर अंग्रेज़ी शिक्षकों के साथ बातें करती हैं और या तो फिर अपनी घरेलु महिला मित्रों के साथ बैठकर केक तथा काफी पीतीं हैं ।
यह एक कहानी है जो मैंने आधी दर्जन सखियों से सुनी है। इसका मतलब यह नहीं है कि मेरे आधा दर्ज न सखियाँ
है, शायद वे मेरे मित्रों की मित्र है। इस तरह बोलना कुछ अटपटा लगता है।
खैर ,यहाँ माऐं सुबह जल्दी उठती हैं फिर अपने परिवार के लिये नाश्ता तथा खाना बनाती हैं। जब सब लोग दौङते भागते अपने अपने खाने का डिब्बा लेकर निकल जाते हैं तब वह कपङे धोती है, नहाने के टब धोती है तथा
तौलिये सुखाती है इस तरह की कङी मेहनत के बाद जो थोड़ा समय निकलता है उसमें वह अंश कालिक कार्य
जैसे अंग्रेज़ी कक्षा लेती हैं या फिर अंग्रेज़ी शिक्षकों के साथ बातें करती हैं और या तो फिर अपनी घरेलु महिला मित्रों के साथ बैठकर केक तथा काफी पीतीं हैं ।